हिंदी हमारे जीवन की वह भाषा है, जिसमें हम अपने घर की चौखट से लेकर बड़े-बड़े मंचों तक सहजता से संवाद करते हैं। यह केवल बोलचाल की भाषा नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों और संस्कृति की धड़कन है।आज हम देखते हैं कि एक छोटा बच्चा जब पहली बार बोलना शुरू करता है, तो उसके होंठों से “माँ” या “पानी” जैसे शब्द निकलते हैं। ये शब्द उसी की मातृभाषा हिंदी में सबसे सहज रूप में प्रकट होते हैं। विद्यालय की प्रार्थना सभा में जब छात्र हिंदी में प्रतिज्ञा बोलते हैं, तो उनमें देशभक्ति की भावना स्वतः जागृत हो जाती है। गाँव कीचौपाल हो या शहर का बाज़ार हिंदी हर जगह लोगों को जोड़ने का काम करती है। हमारे दैनिक जीवन में भी हिंदी की प्रासंगिकता साफ दिखाई देती है। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या बाज़ार में हिंदी ही वह भाषा है, जो सभी को जोड़ती है। खेतों में काम करते किसान, दुकानों पर काम करते व्यापारी और यहाँ तक कि मोबाइल पर संदेश लिखते विद्यार्थी सभी अपनी सहज अभिव्यक्ति के लिए हिंदी को चुनते हैं। यह बात साबित करती है कि आधुनिकता के दौर में भी हिंदी पीछे नहीं, बल्कि आगे बढ़ रही है। हिंदी का प्रचार-प्रसार केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे अपने व्यवहार में भी झलकता है। जब हम विज्ञान की नई खोजों को हिंदी में समझाते हैं, पर्यावरण बचाने के संदेश हिंदी में लिखते हैं या फिर ‘जल बचाओ, जीवन बचाओ’ जैसे नारे गढ़ते हैं, तब भाषा और समाज दोनों सशक्त होते हैं। हिंदी दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि यह भाषा हमारी आत्मा है। हमें चाहिए कि हम घर, विद्यालय और समाज हर स्तर पर हिंदी का प्रयोग करें। यही हमारी सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखेगा और आने वाली पीढ़ियों को गर्व से कहने देगा—“हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारी पहचान है।” हिंदी हमारी पहचान की भाषा है। यह हमें परिवार, समाज और संस्कृति से जोड़ती है। समय चाहे कितना भी बदल जाए, हिंदी की प्रासंगिकता हर दौर में बनी रहती है।आज की नई पीढ़ी, जिसे हम Gen Z कहते हैं, आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया की दुनिया में जी रही है। फिर भी वह अपनी बात को व्यक्त करने के लिए हिंदी का ही सहारा लेती है। इंस्टाग्राम पर बने छोटे-छोटे हिंदी रील्स, व्हाट्सऐप पर लिखे गए स्टेटस, या यूट्यूब पर हिंदी में किए गए व्लॉग्स—ये सभी बताते हैं कि डिजिटल युग में भी हिंदी की पकड़ मजबूत है। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी हिंदी अपनी जगह बना रही है। मोबाइल एप्स, गूगल ट्रांसलेट और एआई टूल्स के माध्यम से वैज्ञानिक जानकारी अब हिंदी में भी उपलब्ध है। जब विद्यार्थी रोबोटिक्स, पर्यावरण संरक्षण या नई खोजों पर हिंदी में प्रोजेक्ट तैयार करते हैं, तो यह भाषा आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाती है।हमारे दैनिक जीवन में हिंदी हर जगह दिखती है। सड़क किनारे लिखे “धीरे चलें” जैसे बोर्ड हों या सोशल मीडिया पर ट्रेंड होते “हैशटैग हिंदी”, दोनों ही हमारे व्यवहार को दिशा देते हैं। यह दर्शाता है कि हिंदी केवल परंपरा नहीं, बल्कि आज का आधुनिक साधन भी है। हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। यह भाषा हमें अतीत से जोड़ती है, वर्तमान में मार्गदर्शन करती है और भविष्य को दिशा देती है। आज की पीढ़ी जब विज्ञान और सोशल मीडिया की भाषा को हिंदी से जोड़ती है, तो यह संदेश और भी गहरा हो जाता है कि—हिंदी सदैव जीवंत है, और आने वाले कल में और भी प्रासंगिक होती जाएगी।

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