जो डरता है स्वयं से
उसे सफलता मिलती है।
और समझ पता है वो
इस कलयुगी संसार को।
डराने धमकाने वाले तो
बहुत है घर बहार में।
पर जो स्वयं से डरता है
वो औरों से क्या डरेगा।
तभी तो वो हर काम को
निडरता से करता है।
और जीवन की जंग को
हमेशा ही जीतता है।।
भाषाओं के ज्ञान से
अंतर इंसानों में कर दिया।
बदल के रख दी परिभाषा
चंद स्वर्थी लोगों ने।
आंतरिक और बाहरिक ज्ञान भी
सिध्दांतिक ज्ञान कहलाता है।
तभी तो पढ़े लिखों जैसा ही
वो भी व्यापार अच्छा करते है।
और ऊँची शिखर पर पहुँचकर
पढ़ो लिखों को रोजगार देते है।
और सबके सामने स्वयं को
सफल उद्योगपति कहलावाते है।।
चलो दोनों को आजमाते है
परिवार की परिभाषा को।
जानने की कोशिश हम
आज दोनों से करते है।
बिना पढ़ा लिखा कहता है
की दो और दो का जोड़।
दादा-दादी माता-पिता काका-काकी
बुआ और मैं ये है परिवार।
और शिक्षित व्यक्ति कहता है
मैं पत्नी बच्चें मेरा परिवार।
अब फैसला हमें और आपको
परिवार की परिभाषा का करना है।।