ये धान के पकने का सुन्दरतम मौसम है
इस मौसम में
हल्की-फुल्की,  कुछ ठण्डी-ठण्डी हवा-बतास बहेंगी
धान के सोने जैसे बालियों में धीरे-धीरे
कोटि-कोटि दूधदार चावल आएँगे
मिट्टी की सुकोमलता पाकर
सूरज की किरणों से
नई-नई शक्ति मिलकर
धीमी आँच पर धान पकेंगे
हमारे  प्रान  पकेंगे!
बच्चे दूर-दूर खेतों में
किसम-किसम की चिड़ियों को
हुलकायेंगे  हुल-हुल
किन्तु चिड़िया नहीं मानेंगी
जिन्दगी के गले तक लहराती हुई बालिओं  पर
इठलाएँगी
धान के दानों पर आस लगाकर आएँगी
चोरी-चुपके  छुप-छुप के , चुग-चुग  कर खूब खाएँगी
चहचहायेंगी खेतों के इर्द-गिर्द खूब हँसी-खुशी से
कार्तिक के आगमन पर नव-जीवन दिवस मनाएँगी !
ये धान के पकने का सुन्दरतम मौसम है
इस मौसम में
धान की अप्रतिम बालियों में से
भीनी-भीनी खुशनुमा खुशबू महकेंगी
अगरबत्ती ,अगरूगन्ध, रजनीगन्धा या कोई भी इत्र से  कहीं अधिक
रंग-बिरंगी तितलियाँ इन्हीं  रंगों  ,सुगंधों  में
घुल-मिल जाएँगी
भँवरे पकने  के  गीत  गुनगुनाएँगे गुन-गुन
मधुमक्खियाँ इन्हीं  बालियों में से
चुम-चुम  कर
धानरस ले जाएँगी
धान के खेत के पास आम के पेड़ हैं बहुत
आम  के  ही  डालिओं  पर
माधुर्य छताएँ लगाएँगी
हम मेहनतकश की आत्माओं के श्रम-सनेह-जल से
सींची  गई यह धान की अविरल क्यारियाँ
अपने रूप-रस-गंध-स्पर्श-सत्य-सौन्दर्
भरने को आतुर होंगी
हमारी रगों में बहते हुए गतिमय शोणित बूँदों  में!
ये धान के पकने  का सुन्दरतम  मौसम है
इस  मौसम  में
शरद का शीतल चन्द्रमा
अपने मद्धिम  रोशनी से
धान के  बालियों के पोर-पोर  में
दिव्य-मधु-कलश  भर देगा
इस मौसम में
जंग लगे धरे हुए हँसुवे
लोहार के यहाँ  धार के प्यार में तड़पेंगे
काटने के इन्तजार में रहेंगे हम मेहनतकश
अपनी लगाई हुई धान की फसल!
ये धान के पकने का सुन्दरतम  मौसम है!
            
 
	
