टी.वी पर इंडिया के शीर्ष डॉक्टर्स का इंटरव्यू आ रहा था और उन सबने एक मत से जो एक वाक्य बोला वो ये था कि अगर स्वस्थ रहना चाहते हैं तो जितना हो सके उतना ज्यादा हँसें, खुश रहें। हँसने से आप बहुत सी बीमारियों से बच सकते हैं।
आपको सुनने में शायद अजीब लगे पर हमारे यहाँ गाँव तो गाँव शहर के लोग भी किसी लड़की या औरत का चरित्र उसकी हँसी से माप लेते हैं। पृथ्वी के सबसे विकसित देश U.S.A के लोगों में भी नहीं पायी जाने वाली ये विशेष शक्ति भारत के 80% से भी ज्यादा लोगों को भी प्राप्त है औरत से लेकर मर्द तक सबको। संविधान में लिखे जाने से गलती से छूट गया यह महत्वपूर्ण नियम यह है कि अच्छे घर की लड़कियां और अच्छी लड़कियां बड़ों के सामने , रिश्तेदारों के सामने और पब्लिक प्लेस पे ना हँसें अन्यथा आपकी हँसी का कुछ भी मतलब निकाला जा सकता है। बहुत से जगह ऐसे नियम से हमारा भी पाला पड़ता रहा है पर मैं खुद भाग्यशाली मानती हूँ कि मेरे माता पिता ये नियम सिखने से वंचित रह गए।
अधिकतर लोगों को अपने घर की औरतों खास कर लड़कियों की हँसी की आवाज से भी चिढ़ होती है और हद तो तब समझिये जब आप कोई कॉमेडी मूवी देख रहें हों और आप खुल के हँस नहीं सकते क्योंकि पास के कमरे में बैठे घर के बड़ों को गुस्सा आ जाएगा और उस गुस्से के पीछे उनका यह डर है कि घर से हँसी की आवाज सुनकर बाहर के लोग क्या कहेंगे? उन्हें ये डर सताने के पीछे कारण भी है और वह कारण यह है कि ये लोग खुद भी कहीं ना कहीं दूसरे घर की लड़कियों को उनकी हँसी से ही जज कर लेते हैं।
आप विश्वास करेंगे कि मेरे गाँव में एक लड़की की शादी की वीडियो रिकॉर्डिंग इसलिए रुकवा दी गयी क्योंकि लड़की की सहेलियां हँस रही थीं तो लड़की के घरवालों को चिंता हो गयी कि वीडियो में इनको ऐसे हँसते देख बेटी के ससुराल वाले क्या सोचेंगे?
कमाल की सोच है ना ? एक तरफ डॉक्टर्स से लेकर योग गुरु तक आपसे यही कहते हैं कि हँसना स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है , आप खुल के हँसिये , हँसी ना आये तो झूठ-मूठ ही हँसिये । दूसरी तरफ समाज के ये बुद्धिजीवी हैं जिन्हें हँसी से ही एलर्जी है।