यह समाज तुम्हारे लिए कांटो भरा पथ होगा पर तुम डरना नहीं, हाँ पर हर बात पर झगड़ना भी नहीं, जब तुम बाहर जाओगी न तो…… सबकी निगाहे तुम पर होंगी……… तुम कहाँ जाती हो..? क्या करती हो….? किससे मिलती… Read More

यह समाज तुम्हारे लिए कांटो भरा पथ होगा पर तुम डरना नहीं, हाँ पर हर बात पर झगड़ना भी नहीं, जब तुम बाहर जाओगी न तो…… सबकी निगाहे तुम पर होंगी……… तुम कहाँ जाती हो..? क्या करती हो….? किससे मिलती… Read More
आज मैंने उस बहती नदी को समीप से देखा जो हर रोज पड़ती है मेरे अध्व में…… मैं गुजर जाती हूं अपने जीवन की सूझ बूझ में उलझी उलझी….. मगर शायद आज नियति में था उससे मिलना वो वैसी बिल्कुल… Read More