तेरे मेरे रिश्ते के
किस्से बहुत माशूर है।
हर दिल जुबान से
लोग सुनाते रहते है।
जिससे वीरान पड़े बाग
आबाद होने लगे है।
चारो तरफ खुशयाली
अब देखो छा ने लगी है।।
मोहब्बत करने का अब
नजरिया भी बदलने लगा है।
छुपछुप कर मिलने वालो का
सिल सिला भी थम गया है।
लोग खुलकर अब मोहब्बत
बाग बगीचों में करने लगे है।
अपने जीवन साथी को भी
स्वयं ही अब चुनने लगे है।।
समय परिवर्तन की पुकार को
बच्चें भी समझने लगे है।
जात पात से निकलकर
ये लोग आगे बढ़ने लगे है।
मिटाकर ऊंचनीच के भेदभाव को
इंसानियत के सूत्रों में बंधने लगे है।
और एक नये इतिहास को अब
ये लिखने को चल पड़े है।।