rituu

बारिस के पानी से देखो।
भर गये नदी नाले तलाब।
सुखी उखड़ी भूमि भी अब
हो गई है गीली गीली।
वृक्षों पर भी देखो अब
नये हरे पत्ते आने लगे।
चारों तरफ पानी पानी अब
जमा हो गया बारिस का।।

रास्ते पहाड़ और टेले आदि
शीतल और नम होने लगे।
बारिस की गिरती बूंदे से
पेड़ फूल पत्ती खिल उठे।
रुका हुआ पानी भी देखो
वह भी अब बहने लगा।
पशु पक्षी जीव जंतु आदि
उछल कूंद करने लगे।।

दूर दराज गये पक्षी भी
अब घरों को लौटने लगे।
छोड़ छाड़कर अपने कामों को
प्रभु आराधाना अब करने लगे।
शरीर की शीथलता भी अब
मानव का साथ देने लगी।
व्रत नियम संयम आदि लेकर
ध्यान प्रभु का करने लगे।।

चार माह का ये चौमासा
साधु संत आदि को भाता है।
स्थिर एक जगह रहकर के
खुदका और जनकल्याण करते है।
जीओ और जीने दो के लिए
एक स्थान को ही चुनते है।
और ये सब हम और आप भी
वर्षा ऋतु में ही कर सकते है।।

इसी ऋतु में आते है
सबसे ज्यादा तीज त्यौहार।
प्रभुजी भी आराम है करते
इसी पावन वर्षा ऋतु में।
तभी तो भक्तो को मिल जाती
उनकी पूजा अर्चना करने को।
और उन्हें खुश करके उनसे
मनवंक्षित फल पा जाते है।।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *