gurupurnima

तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा
पर प्रभु दर्शन नहीं मिल पाये है।
किये थे पूर्व जन्म में अच्छे कर्म।
इसलिए मनुष्य जन्म तुम पाये हो।।
तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा..।

तुझसे पहले कितने भक्तगण
यहाँ आकर देखो चले गये।
पर वो भी शायद प्रभु के दर्शन
बिना ही यहाँ से लौट गये।
वो भी मनुष्य पर्याय को पाये है
तू भी मनुष्य गति को पाये हो।
पर लगता तुम्हारी श्रध्दा में
कुछ तो कमी जरूर रही होगी।।
तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा…।

एक दिन एक भविष्य वाणी को
सुनकर तू ह्रदय घात को सह गया।
तेरी आत्मा उन शब्दो को सुनकर
अंदर ही अंदर से हिल गई।
तू यहाँ वहाँ क्यों भटक रहा
हे अज्ञानी मानव तू सुन।
तेरी ही घर में प्रभु है और
तू यहाँ वहाँ उन्हें खोज रहा।।
तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा…।।

कहते है माँ के चरणों में
चारों धाम के तीर्थ है।
जो माँ की सेवा करते है
वो ही सुख संमति को पाते है।
जो माँ के दिल को दुखते है
वो निश्चित ही नरक में जाते है।
और अपने मानव जीवन को
व्यर्थ में यू ही गमा देते है।।
तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा
पर प्रभु दर्शन नहीं मिल पाये है।।

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