मेरे साथ अक्सर
कुछ ऐसा होता है।
जब भी करता हूँ
कोई अच्छा कार्य।
उपेक्षा करने वाले
पहले कूदने लगते है।
क्योंकि आगे क्या होगा
ये जानकर रोते है।।
खुदकी जमी खिसकते देख
दूसरो को नीचे गिराने को।
मानसिकता के अनुसार ही
उस पर प्रहार करते है।
जिससे वो विचलित हो जाये
और कुछ गलती कर जाये।
और हमें मौका मिल जाये
उनकी खिल्ली उड़ाने का।।
जो सच्चे और अच्छे होते है
उनकी रक्षा भगवान करते है।
जिससे वो अपने कार्यो में
हमेशा ही सफल होते है।
क्योंकि वो निस्वर्थ भाव से
समाज की सेवा करते है।
इसलिए उपेक्षाकर्ताओं को
मुहकी खाना पड़ता है।।