नारी और श्रृंगार देखकर
मानव का दिल डोले।
सुंदर से बदन पर जब
वो पहनी हो ये चीजें।
फिर हँसते हुये चेहरे से
मानो झड़ रहे हो फूल।
इसलिए सब कहते है
नारी तू है बहुत अनमोल।
माथे पर बिंदी बालों में फूल
कानों में झुमके नाक में पुंगरिया।
आँखो में काजल ओठों पर लाली
गले में हार हाथो में कंगन बाजूबंध।
उंगलियों में अंगूठी हाथफूल और
कमर में पहने जब वो कर्धोनी।
पैरो में बजने वाली पयाल और
रंग से मिलती जुलती साड़ी।
सजधज कर जब वो निकले
तो देखने लगती दुनियां सारी।
आँखों का ठहराव और धड़कने तेज
फिर मुँह से निकले ऊ बस….।
तो डोलने लगते है अच्छे अच्छे
विश्वामित्र जैसे तपस्वीय भी।
रूप अनोखा जब कोई दिखे
तो आँखें अपनी मुस्काराये।
और दिलका किसी के दिलसे
मिल जाना स्वभाविक है।
इसलिए तो उस विधाता ने
नर और मादा को बनाया।
एक को रूप दिया है तो
दूसरे को पुरुषार्थ करने की क्षमता।
नर को कठोर और नारी को कोमल
सुंदर सरल और सहनशील बनाया।
और एक ऐसा उपहार दिया है
जिससे वो जन्में नर को भी।
नारी का श्रृंगार और सुंदरता से
सच में नाता है जन्मों जन्मों का।
रूप और सौंदर्य की नारी
जीती जागती एक मूरत है।
बस एक मूरत है…।।
