kathputali

जगह तुम दे न सकते
अपने छोटे से दिल में।
और बातें करते हो तुम
सदा ही बड़ी बड़ी।
जबकि तेरी करनी कहने में
बहुत ज्यादा ही अंतर है।
इसलिए मैं कहता हूँ
पहले खुदको तुम बदलो।।

जमीन और आसमान में
बहुत ज्यादा अंतर होता है।
खुदा और इंसानो का अब
सच में संबंध कम हो गया।
क्योंकि अहम का आजकल
इंसानों में बहुत बोलाबाला है।
जिसके चलते ही अब वो
खो रहा मानवता को।।

सभलना और समझना अब
तुम्हीं को होना पड़ेगा।
जमाने के हिसाब से अब
तुम्हें ही चलना पड़ेगा।
जमाने से तुम हो अब
जमाना तुम से नहीं है।
इसलिए बदल लो अब
तुम अपनी सोच को..।।

करेगा वो हई तेरे साथ
जिसने भेजा है तुझे।
लाख कर ले तू कोशिश
होगा वो ही जो वो चाहेगा।
इसलिए अपने अहम को
तू एक भ्रम समझ बैठा है।
जबकि तू उसके हाथ की
मात्र एक कठ पुतली है।।

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