कवि हमेशा सीमाएँ तोड़ता है, वे चाहें जिस भी प्रकार की हों— राजनीतिक, समाजिक, धार्मिक अथवा आर्थिक। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज के बिना उसका काम नहीं चलता, इसलिए वह सामाजिक नियमों में आसानी से बँध जाता है। यहाँ… Read More

कवि हमेशा सीमाएँ तोड़ता है, वे चाहें जिस भी प्रकार की हों— राजनीतिक, समाजिक, धार्मिक अथवा आर्थिक। मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज के बिना उसका काम नहीं चलता, इसलिए वह सामाजिक नियमों में आसानी से बँध जाता है। यहाँ… Read More