देखो बादल छा रहे
बरसने के लिए।
बादल गरजने लगे
सतर्क करने ले लिए।
मेघ मल्हार गाने लगे
अब वर्षा के लिए।
भूमि बहुत प्यासी है
पानी के लिए।।
आस लगाये पानी की
बैठे नदी और तलाब।
कब होगी अब वर्षा
बतला दो इंद्रदेव।
जैसे ही गिरती है
बूंदे पानी की।
सेन्धी सेन्धी खूशबू
आने लगती है।।
चारों तरफ छाने लगी
हरियाली और ठंडक।
पेड़ पौधे फूल पत्तीयां
सब खिल उठे।
गाँव शहर का भी
माहौल बदल गया।
मूरझाये हुये चेहरे भी
कमल की तरह खिल उठे।।
एक पानी की बूंद से
क्या क्या देखो बदला।
बिन पानी के जैसे
कितने थे वो शून्य।
पानी की बूंदों ने
कितनो का जीवन बदला।
गर्मी से देखो सबको
शीतल शीतल कर दिया।।