उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के हिंदी विभाग द्वारा महाविद्यालय की एन.एस.एस. इकाई के साथ मिलकर हिंदी सप्ताह के उपलक्ष्य में आज राजर्षि सेमिनार हाल में ‘हिंदी के विकास की कहानी और रोजगार’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए महाविद्यालय की पूर्व छात्र एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर सत्यपाल शर्मा ने कहा कि हमें हिंदी का समर्थन केवल भावनात्मक आधार पर न करके वैचारिक और तथ्यात्मक आधार पर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी भाषा के असली योगदान को राजभाषा या साहित्यिक भाषा के रूप में न समझकर संपर्क भाषा के रूप में समझा जा सकता है। प्रो. सत्यपाल शर्मा आगे कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान हिंदी के संपर्क भाषा के रूप में तेजी से विकसित होने में हिंदी भाषियों के साथ ही गैर हिंदी भाषा भाषी राजनेताओं, विद्वानों एवं मनीषियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस दृष्टि से हमें केशव चंद्रसेन, बंकिम चंद्र चटर्जी, रविंद्र नाथ टैगोर, बाल गंगाधर तिलक, स्वामी दयानंद सरस्वती तथा महात्मा गांधी जैसे गैर हिंदी भाषियों के योगदान को नहीं भूलना चाहिए।
प्रो.सत्यपाल शर्मा ने हिंदी में रोजगार की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें पहले योग्य बनना चाहिए। उसके बाद संभावनाओं के अनंत द्वार हिंदी में खुलते जाते हैं। अपने व्याख्यान में उन्होंने शिक्षण, अनुवाद, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण आदि के साथ ही लैंग्वेज टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी हिंदी में रोजगार की अत्यधिक संभावनाओं को रेखांकित किया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉक्टर सदानंद सिंह ने किया। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमें हिंदी को लेकर हीन भावना ही मुक्त होना चाहिए। अपनी भाषा के प्रयोग में व्याकरण शुद्धता पर विशेष बल देना चाहिए। उन्होंने आगे हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदी प्यार की, व्यवहार की, सभ्यता की और संस्कृति की भाषा है।संगोष्ठी से पूर्व एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।आज की इस संगोष्ठी में निबंध प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया। हिंदी निबंध प्रतियोगिता में पहला स्थान बी.ए. प्रथम सेमेस्टर की छात्रा सुश्री खुशी मौर्या को प्राप्त हुआ। संगोष्ठी में आए हुए अतिथियों का स्वागत रसायन विज्ञान के प्रो.एन.पी. सिंह ने किया तथा संचालन प्रो. गोरख नाथ ने किया। आभार ज्ञापन डॉ. आनंद राघव चौबे ने किया। इस अवसर पर प्रो.रमेश धर द्विवेदी, डॉ. अरविंद कुमार सिंह, डॉ. डी.डी.सिंह, प्रो. नीलिमा सिंह, प्रो. मधु सिंह, प्रो. रेनू सिंह, प्रो. रश्मि, प्रो. अनीता सिंह, प्रो. पंकज कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. अनुराग उपाध्याय, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ. सत्य शरण मिश्रा, डॉ. शिवबच, डॉ. विजय कुमार सिंह, डॉ.अग्नि प्रकाश शर्मा, डॉ. वंश गोपाल यादव, डॉ. श्वेता सोनकर, डॉ. अंकिता मिश्रा सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।