30 अगस्त 2025 को साहित्य अकादमी, दिल्ली के सभागार में कथाकार अंजु वेद के पहले कहानी संग्रह “अधूरी नहीं हूँ” के लोकार्पण व पुस्तक परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन कस्तूरी नामक संस्था के द्वारा किताबें बोलती हैं के अंतर्गत किया गया। कथाकार अंजु वेद के अधूरी नहीं हूँ और लौटना होगा नामक दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। वे अपनी कहानियों में सामाजिक, सांस्कृतिक विषयों, स्त्री जीवन एवं उसकी चुनौतियों और जीवन मूल्यों को केंद्र में रखते हुए मानवता के कल्याण हेतु चिंतन करती हैं। पुस्तक परिचर्चा के क्रम में वक्ता के नाते आलोचक एवं किस्सागोई विधा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. प्रकाश उप्रेती ने अधूरी नहीं हूँ नामक कहानी संग्रह पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा- लेखिका ने अपनी कहानियों में परिवेश को उठाया है। वे अपने आसपास को सजगता से अनुभव करती हैं। उनकी कहानियां इस बात की प्रमाण हैं। डॉ. प्रकाश ने संग्रह की विभिन्न कहानियों पर विस्तार से अपनी बात रखी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी महाविद्यालय में प्राचार्य, प्रोफेसर दर्शन पांडेय कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कथाकार डॉ. अंजु वेद के कहानी संग्रह अधूरी नहीं हूं के विषय में कहा कि- संग्रह की सभी कहानियां नारी के स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की ओर संकेत करती हैं। सभी कहानियों में सकारात्मकता का भाव है। उनके पात्र किसी समस्या अथवा त्रासदी में उलझकर नहीं रहते अपितु उसमें से सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए रास्ता निकालते हैं। प्रत्येक पात्र के साथ लेखिका का व्यक्तिगत संवाद अथवा पूरा परिचय मिलता है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जेएनयू में प्रोफेसर एवं साहित्य की मर्मज्ञ बंदना झा ने अपने वक्तव्य में कहा कि- अधूरी नहीं हूँ कहानी संग्रह की सभी कहानियां संवेदना को छूने वाली हैं। कहानीकार का बोलना अथवा पात्रों के साथ संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। कहानियों में मानवीय जीवन का अधूरापन पूरेपन में उभर कर आया है। वे जीवन मूल्य और जीवन के विभिन्न पक्षों को रिस्ट्रक्चर करती दिखाई देती हैं। लोक संस्कृति का गहरा प्रभाव भी इस संग्रह की कहानियों में है। कहानियों की भाषा बहुत सरल और पात्रों की मनःस्थिति के अनुरूप है। डॉ.अंजु वेद की कहानियों में अतीत एवं वर्तमान के साथ भविष्य की राह भी दिखाई देती है। उनमें आत्मनिर्भरता का विषय भी आया है तो शिक्षा, संस्कृति एवं सम्मान के साथ जीने की राह भी प्रशस्त मिलती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री एवं कथाकार अलका सिन्हा ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में सभी वक्ताओं की बातों का समाहार करते हुए कहानी संग्रह के विषय में कहा कि- संग्रह की कहानियों के कई पात्र हमें हमारे आसपास दिखाई देते हैं। साधारण से दिखने वाले विषयों को विषयवस्तु बनाकर लिखना कठिन होता है लेकिन डॉ. अंजु वेद ने इस कठिनता को भी सरलता से साकार किया है। लोक के पर्व-उत्सव एवं विभिन्न अवसरों पर विभिन्न रीति-रिवाज कहानी की विषयवस्तु के साथ मिलकर उसे विशेष बनाते हैं। सभी कहानियों की भाषा सरल है। कहानी पाठक को बांधती है और एक पाठक के नाते जो भी प्रश्न अथवा जिज्ञासाएं मन में आती हैं उनके उत्तर उसे कहानी में ही मिलते चले जाते हैं। तेरी पहचान कहानी किन्नर विमर्श पर है। प्राय: लेखक इस विषय पर लिखने से बचते हैं अथवा यथार्थ नहीं लिख पाते, लेकिन डॉ. अंजु वेद ने इस विषय पर भी बहुत गंभीरता से लिखा है। शिक्षित और अशिक्षित दोनों ही रूपों में आज भी नारी शोषण की शिकार है, यह बात भी कई कहानियों में स्पष्टता से सामने आई है। इस महत्वपूर्ण कहानी संग्रह के लिए मैं डॉ. अंजु वेद को बधाई देती हूं और आशा करती हूं कि वे भविष्य में भी इसी प्रकार लिखती रहेंगी।
कहानी संग्रह पर अपनी बात रखते हुए एवं सभी का धन्यवाद ज्ञापन करने के क्रम में कथाकार अंजु वेद ने कहा कि- इन कहानियों के सभी पात्रों से मेरा संबंध रहा है। इसलिए वे इन कहानियों की विषयवस्तु बने हैं। इन कहानियों के माध्यम से मेरा प्रयास रहा है कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत और चुनौतियों का सामना करती नारी को बिना लाग लपेट के उसी रूप में प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने किन्नर विमर्श पर आधारित तेरी पहचान कहानी पर विस्तार से अपने अनुभव साझा किए। इसी प्रकार कुनिया कहानी की पात्र एवं उसके जीवन का यथार्थ भी बताया। उन्होंने अतिथियों, कार्यक्रम में आए विभिन्न विद्वानों, श्रोताओं एवं कार्यक्रम के संयोजक कस्तूरी एवं उनकी पूरी टीम का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन साहित्य एवं कला अध्येता विशाल पांडेय ने किया। इस कार्यक्रम में वैश्विक हिंदी परिवार के संस्थापक और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अनिल जोशी का सानिध्य रहा। साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष एवं रक्षा मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर करुणा शंकर उपाध्याय ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जगदेव कुमार शर्मा भी उपस्थित रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू एवं विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक एवं विभिन्न शोधार्थियों- विद्यार्थियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
